आज का जीवन मंत्र:बेवजह गुस्सा हमेशा खुद के लिए ही नुकसानदायक साबित होता है

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  • ऋषि दुर्वासा ने राजा अम्बरीश पर अकारण गुस्सा किया, जिसका परिणाम उन्हें ही भोगना पड़ा

दुर्वासा ऋषि अपने गुस्से के लिए जाने जाते थे। उन्हें बात-बात पर क्रोध आ जाता था और वो सामने वाले को श्राप दे देते थे। एक बार ऋषि दुर्वासा को पता चला कि राजा अम्बरीश एकादशी व्रत का विधान कर रहे हैं, तो दुर्वासा अम्बरीश की परीक्षा लेने उनके महल पहुंच गए।

अम्बरीश ने बहुत प्रसन्नता के साथ ऋषि दुर्वासा का स्वागत किया। उनके पग-पखारे और पूरे सम्मान के साथ उन्हें आसन दिया। अम्बरीश ने ऋषि दुर्वासा से कहा, भगवन, आप बहुत अच्छे समय पधारे हैं। मेरे एकादशी व्रत का विधान पूरा हो रहा है। आज आप मेरे यहां भोजन ग्रहण करेंगे तो मुझ पर कृपा होगी।

दुर्वासा ने कहा कि मैं भोजन तो जरूर करूंगा, लेकिन उसके पहले नदी में स्नान करूंगा। जब तक मैं न लौटूं, तब तक तुम भी व्रत मत तोड़ना। ऐसा कहकर दुर्वासा स्नान करने चले गए। लेकिन, नदी के किनारे ही ध्यान लगाकर बैठ गए।

काफी समय गुजर गया। दुर्वासा नहीं लौटे। इधर अम्बरीश के व्रत पूरा करने का समय बीत रहा था, लेकिन दुर्वासा के श्राप के डर से वो व्रत तोड़ना नहीं चाहता था। काफी समय हो जाने पर कुछ विद्वान ब्राह्मणों ने अम्बरीश को समझाया कि वो तुलसी का दो घूंट जल पी लें। इससे व्रत भी पूरा हो जाएगा और दुर्वासा की बात भी रह जाएगी।

अम्बरीश ने वैसा ही किया। खाया कुछ नहीं, बस तुलसी का दो घूंट पानी पी लिया। तभी दुर्वासा आ गए। अम्बरीश ने अपना व्रत तोड़ दिया है, ये जानकर उन्होंने बहुत क्रोध किया। अम्बरीश ने क्षमा मांगी लेकिन दुर्वासा नहीं माने। उन्होंने अपने तपोबल से एक कृत्या (राक्षसी) पैदा की। उन्होंने कृत्या को आदेश दिया कि अम्बरीश को खा ले। कृत्या, अम्बरीश पर झपटी। तभी भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र प्रकट हुआ।

चक्र ने पलभर में कृत्या को जलाकर राख कर दिया। फिर चक्र दुर्वासा की ओर चल पड़ा। चक्र अपनी तरफ आता देख दुर्वासा भागे। उन्होंने कई देवताओं की शरण ली, लेकिन किसी ने दुर्वासा की मदद नहीं की। फिर भगवान विष्णु प्रकट हुए, उन्होंने कहा दुर्वासा आपने अम्बरीश के प्रति अपराध किया है। उनसे माफी मांगिए। दुर्वासा अम्बरीश के पास पहुंचे। उन्होंने उससे माफी मांगी।

अम्बरीश ने कहा, आप क्षमा मत मांगिए भगवन, अपराधी तो मैं हूं, मैं आपसे क्षमा मांगता हूं।

सीख – क्रोध करने से हमेशा नुकसान ही उठाना पड़ता है। गुस्से से बचना चाहिए। और, अगर किसी अच्छे इंसान पर बिना किसी गलती के आप क्रोध करते हैं तो उसका परिणाम आपको ही भुगतना होता है। क्योंकि, अच्छे इंसान के साथ पूरी प्रकृति और परमात्मा की शक्ति होती है।