एकादशी पर क्या करें, क्या नहीं:इस पर्व पर झगड़े और क्लेश से बचना चाहिए वरना नहीं मिल पाता व्रत का फल

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Temple Shubhvani
 
 
  • मोहिनी एकादशी पर तुलसी पूजा के साथ ही दान की परंपरा भी, ऐसा करने से कई यज्ञ करने जितना पुण्य मिलता है

आज वैशाख महीने के शुक्लपक्ष की एकादशी है। इसे मोहिनी एकादशी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा और व्रत-उपवास किए जाते हैं। धर्म ग्रंथों के मुताबिक देवता और राक्षसों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था। जब इस मंथन में अमृत निकला तो उसे पाने के लिए देवताओं और राक्षसों में लड़ाई होने लगी। तब भगवान विष्णु ने इसी तिथि पर मोहिनी रूप में अवतार लिया था और देवताओं को दिया था।

पुरी के ज्योतिषाचार्य और धर्मग्रंथों के जानकार डॉ. गणेश मिश्र का कहना है कि इस दिन किए गए पूजन पाठ से सभी परेशानियां दूर हो सकती हैं। सभी तरह के मोह दूर होते हैं। इस दिन व्रत करने वाले व्यक्ति को सुबह जल्दी उठना चाहिए और नहाने के बाद सूर्य को जल चढ़ाएं। भगवान विष्णु के सामने व्रत का संकल्प लें, फिर दिनभर बिना कुछ खाए रहना चाहिए। ऐसा न हो सके तो फलाहार कर सकते हैं।

पूजा और व्रत के साथ दान की परंपरा भी
इस व्रत के दौरान सुबह- शाम भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। इस एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा, व्रत और दान करने की परंपरा है। ऐसा करने से कई यज्ञ करने जितना पुण्य मिलता है। इस दिन नियम और संयम से रहना चाहिए। इस व्रत का पूरा फल पाने के लिए कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए।

क्या-क्या करें एकादशी पर
एकादशी की सुबह तुलसी को जल चढ़ाएं और शाम को तुलसी के पास घी का दीपक लगाएं और तुलसी की परिक्रमा करें। भगवान विष्णु को खीर, पीले फल या पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं। इस दिन दक्षिणावर्ती शंख में गंगाजल भरकर उससे भगवान विष्णु का अभिषेक करना चाहिए। किसी मंदिर में जाकर गेहूं या चावल का दान करें। भगवान विष्णु को पीले वस्त्र और तुलसी की माला चढ़ाएं।

एकादशी क्या-क्या न करें
एकादशी व्रत रखने वाले को गुस्सा नहीं करना चाहिए। घर में या बाहर किसी भी तरह के झगड़े और क्लेश से बचना चाहिए। वरना व्रत का फल नहीं मिल पाता है। सुबह देर तक न सोएं। किसी भी तरह का नशा न करें। व्रत करने वाले को झूठ और गलत कामों से भी बचना चाहिए।

 

 

Photo by Neer Varshney