- पुष्य नक्षत्र में दिए गए दान से मिलता है कई गुना फल और पूजा-पाठ से खत्म होती है परेशानियां
सोमवार, 17 मई और मंगलवार 18 तारीख को पुष्य नक्षत्र है। 17 को सोम पुष्य और 22 को भौम पुष्य का संयोग बन रहा है। ये दिन खरीदारी के लिए बहुत शुभ माने जाते हैं। लेकिन महामारी के चलते अभी खरीदी नहीं की जा सकती। इसलिए इन दिनों में दान और पूजा-पाठ करनी चाहिए। पुष्य नक्षत्र के संयोग में किए गए दान से कई गुना शुभ फल मिलता है। साथ ही इस योग में की गई पूजा-पाठ से बुरा समय भी दूर होने लगता है।
पुष्य नक्षत्र का योग सोमवार दोपहर से मंगलवार की दोपहर तक
सोमवार को पुष्य नक्षत्र का संयोग दोपहर तकरीबन 1.30 से शुरू होगा। इस दिन दोपहर से सूर्यास्त तक दान और पूजा-पाठ किए जा सकते हैं। इसके बाद अगले दिन यानी मंगल को पुष्य नक्षत्र दोपहर करीब 3 बजे तक रहेगा। इसलिए मंगलवार को दान और पूजा-पाठ दोपहर 3 बजे के पहले ही करना चाहिए।
पुष्य नक्षत्र से मिलता है अक्षय फल
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र का कहना है कि पुष्य नक्षत्र में किए गए कामों का अक्षय फल मिलता है। इस नक्षत्र का स्वामी शनि होता है। शनि वृद्धि करने वाला और लंबे समय तक फल देने वाला ग्रह है। इसलिए इस नक्षत्र में शिव पूजा से शनि दोष भी खत्म होंगे और लंबे समय तक शुभ फल मिलेगा।
17 मई, सोमवार: सोम पुष्य के संयोग में जल, दूध, मिठाईयां, फल, औषधियां यानी दवाइयां और कपड़ों का दान किया जाना चाहिए। इन चीजों के दान से शारीरिक और मानसिक परेशानियां दूर होती है। साथ ही इस दिन भगवान शिव को गंगाजल और दूध से स्नान करवाने से उम्र बढ़ती है।
18 मई, मंगलवार: भौम पुष्य यानी मंगलवार को पुष्य नक्षत्र के संयोग में गुड़, शहद, मसूर की दाल, लाल चंदन, मटकी, गर्मीयों में इस्तेमाल होने वाले मिट्टी के बर्तन, सिंदूर, लाल कपड़ा, गेहूं और तांबे के बर्तन दान किए जा सकते हैं। इस दिन हनुमान जी की पूजा करने से बीमारियां खत्म होने लगती हैं और बुरा समय भी दूर होता है।