Shri Shani Chalisa/Aarti – Jayati Jayati Shanidev Dayala

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Shani Dev Chalisa

Shri Shani Chalisa/Aarti – Jayati Jayati Shanidev Dayala

चालीसा –जयति जयति शनिदेव दयाला/जय जय श्री शनिदेव
श्री शनि देव जी आरती – जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी / चार भुजा ताहि छाजे , गदा हस्त प्यारी
शनि मंत्र (एकाक्षरी मंत्र – ॐ शं शनैश्चराय नम:।
शनि बीज मंत्र – ॐ प्राँ प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः ॥
Shani Mool Mantra – ” नीलांजन समाभासं रवि पुत्रां यमाग्रजं। छाया मार्तण्डसंभूतं तं नामामि शनैश्चरम्॥ “
Shani Gayatri Mantra – ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्।।
साढ़ेसाती से बचने के मंत्र  : – ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम ।
शनिदेव के अन्य मंत्र  : – ऊँ श्रां श्रीं श्रूं शनैश्चाराय नमः।

॥ दोहा ॥
जय गणेश गिरिजा सुवन,मंगल करण कृपाल।
 
दीनन के दुःख दूर करि,कीजै नाथ निहाल॥
 
जय जय श्री शनिदेव प्रभु,सुनहु विनय महाराज।
 
करहु कृपा हे रवि तनय,राखहु जन की लाज॥
 
॥ चौपाई ॥

जयति जयति शनिदेव दयाला।करत सदा भक्तन प्रतिपाला॥
 
चारि भुजा, तनु श्याम विराजै।माथे रतन मुकुट छवि छाजै॥
 
परम विशाल मनोहर भाला।टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला॥
 
कुण्डल श्रवण चमाचम चमके।हिये माल मुक्तन मणि दमके॥
 
कर में गदा त्रिशूल कुठारा।पल बिच करैं अरिहिं संहारा॥
 
पिंगल, कृष्णों, छाया, नन्दन।यम, कोणस्थ, रौद्र, दुःख भंजन॥
 
सौरी, मन्द, शनि, दशनामा।भानु पुत्र पूजहिं सब कामा॥
 
जा पर प्रभु प्रसन्न है जाहीं।रंकहुं राव करैं क्षण माहीं॥
 
पर्वतहू तृण होई निहारत।तृणहू को पर्वत करि डारत॥
 
राज मिलत वन रामहिं दीन्हो।कैकेइहुं की मति हरि लीन्हो॥
 
बनहूं में मृग कपट दिखाई।मातु जानकी गई चतुराई॥
 
लखनहिं शक्ति विकल करिडारा।मचिगा दल में हाहाकारा॥
 
रावण की गति मति बौराई।रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई॥
 
दियो कीट करि कंचन लंका।बजि बजरंग बीर की डंका॥
 
नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा।चित्र मयूर निगलि गै हारा॥
 
हार नौलाखा लाग्यो चोरी।हाथ पैर डरवायो तोरी॥
 
भारी दशा निकृष्ट दिखायो।तेलिहिं घर कोल्हू चलवायो॥
 
विनय राग दीपक महँ कीन्हों।तब प्रसन्न प्रभु हवै सुख दीन्हों॥
 
हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी।आपहुं भरे डोम घर पानी॥
 
तैसे नल पर दशा सिरानी।भूंजी-मीन कूद गई पानी॥
 
श्री शंकरहि गहयो जब जाई।पार्वती को सती कराई॥
 
तनिक विलोकत ही करि रीसा।नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा॥
 
पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी।बची द्रोपदी होति उधारी॥
 
कौरव के भी गति मति मारयो।युद्ध महाभारत करि डारयो॥
 
रवि कहं मुख महं धरि तत्काला।लेकर कूदि परयो पाताला॥
 
शेष देव-लखि विनती लाई।रवि को मुख ते दियो छुड़ई॥
 
वाहन प्रभु के सात सुजाना।जग दिग्ज गर्दभ मृग स्वाना॥
 
जम्बुक सिंह आदि नख धारी।सो फल ज्योतिष कहत पुकारी॥
 
गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं।हय ते सुख सम्पत्ति उपजावै॥
 
गर्दभ हानि करै बहु काजा।गर्दभ सिंद्धकर राज समाजा॥
 
जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै।मृग दे कष्ट प्राण संहारै॥
 
जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी।चोरी आदि होय डर भारी॥
 
तैसहि चारि चरण यह नामा।स्वर्ण लौह चाँजी अरु तामा॥
 
लौह चरण पर जब प्रभु आवैं।धन जन सम्पत्ति नष्ट करावै॥
 
समता ताम्र रजत शुभकारी।स्वर्ण सर्वसुख मंगल कारी॥
 
जो यह शनि चरित्र नित गावै।कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै॥
 
अदभुत नाथ दिखावैं लीला।करैं शत्रु के नशि बलि ढीला॥
 
जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई।विधिवत शनि ग्रह शांति कराई॥
 
पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत।दीप दान दै बहु सुख पावत॥
 
कहत राम सुन्दर प्रभु दासा।शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा॥
 
॥ दोहा ॥
पाठ शनिश्चर देव को,की हों विमल तैयार।
 
करत पाठ चालीस दिन,हो भवसागर पार॥

श्री शनि देव जी आरती
 
!! जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी,
सूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारी,
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी !!
 
!! श्याम अंक वक्र दृष्ट चतुर्भुजा धारी,
नालाम्बर धार नाथ गज की अवसारी,
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी !!
 
!! क्रीट मुकुट शीश रजित दिपत है लिलारी,
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी,
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी !!
 
!! मोदक मिष्ठान पान चढ़त है सुपारी,
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी,
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी !!
 
!! दे दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी,
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी,
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी !!
 
ॐ शं शनिश्चराय नमः
 
श्री शनि देव जी आरती 2
 
चार भुजा ताहि छाजे , गदा हस्त प्यारी || जय ||
 
रवि नंदन गज वंदन , यम् अग्रज देवा
कष्ट न सो नर पाते , करते तब सेना || जय ||
 
तेज अपार तुम्हारा, स्वामी सहा नहीं जावे
तुम से विमुख जगत में, सुख नहीं पावे || जय ||
 
नमो नमः रविनंदन सब गृह सिरताजा
बंशीधर यश गावे रखियो प्रभु लाजा || जय ||
 
शनि मंत्र (एकाक्षरी मंत्र
 
ॐ शं शनैश्चराय नम:।
 
 शनि बीज मंत्र
 
ॐ प्राँ प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः ॥
 
Shani Mool Mantra
 
” नीलांजन समाभासं रवि पुत्रां यमाग्रजं। छाया मार्तण्डसंभूतं तं नामामि शनैश्चरम्॥ “
 
 
Shani Gayatri Mantra
 
ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्।।
 
 
शनि देव के वैदिक मंत्र  :
 
ऊँ शन्नो देवीरभिष्टडआपो भवन्तुपीतये।
 
शनिदेव के अन्य मंत्र  :
 
ऊँ श्रां श्रीं श्रूं शनैश्चाराय नमः।
ऊँ हलृशं शनिदेवाय नमः।
ऊँ एं हलृ श्रीं शनैश्चाराय नमः।
ऊँ मन्दाय नमः।।
ऊँ सूर्य पुत्राय नमः।।
 
 
साढ़ेसाती से बचने के मंत्र  :
 
ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम ।
उर्वारुक मिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात ।।
 
ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।शंयोरभिश्रवन्तु नः। ऊँ शं शनैश्चराय नमः।।
ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्‌।छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्‌।।

Shri Shani Chalisa