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Synopsis
आचार्य चाणक्य की जीवनी और उनकी शिक्षा ।
आचार्य चाणक्य एक दार्शनिक, अर्थशास्त्री और राजनेता थे जिन्होंने भारतीय राजनीतिक ग्रंथ “अर्थशास्त्र” लिखा था। इसमें उन्होंने संपत्ति, अर्थशास्त्र, या भौतिक सफलता के बारे में उस समय तक भारत में लिखे गए लगभग हर पहलू को संकलित किया था। उन्हें इन क्षेत्रों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान के कारण भारत में राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में अग्रणी माना जाता है।
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Chanakya Life Story :
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आचार्य चाणक्य को कौटिल्य या विष्णु गुप्ता के रूप से जाना जाता है। उनका जन्म 371 ईसा पूर्व में हुआ।
चाणक्य की जन्मभूमि अज्ञात है, संभवतः आचार्य चाणक्य के पास कुसुमपुर में हुआ था। बौद्ध ग्रंथ महाविकास टीका के अनुसार, उनकी जन्मभूमि तक्षशिला थी। कुछ अन्य जैन खातों के अनुसार, वह दक्षिण भारत के मूल निवासी थे। उनके पिता का नाम “चाणक” था ।एक बच्चे के रूप में भी, चाणक्य में एक पैदा हुए नेता के गुण थे। उनका ज्ञान का स्तर उनकी उम्र के बच्चों से परे था।
चाणक्य पहले मौर्य सम्राट चंद्रगुप्त के दरबार में एक शक्तिशाली राजनेता थे और मौर्य साम्राज्य की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। ब्राह्मण परिवार में जन्मे चाणक्य की शिक्षा तक्षशिला में हुई थी जो कि उत्तर-पश्चिमी प्राचीन भारत में स्थित शिक्षा का एक प्राचीन केंद्र था। वह अर्थशास्त्र, राजनीति, युद्ध रणनीतियों, चिकित्सा और ज्योतिष जैसे विभिन्न विषयों में गहन ज्ञान रखने वाला एक उच्च शिक्षित व्यक्ति था।
एक शिक्षक के रूप में अपने करियर की शुरुआत करते हुए, वह सम्राट चंद्रगुप्त के एक विश्वसनीय सहयोगी बन गए। सम्राट के सलाहकार के रूप में कार्य करते हुए, उन्होंने चंद्रगुप्त को मगध क्षेत्र में पाटलिपुत्र में शक्तिशाली नंदा राजवंश को उखाड़ फेंकने में मदद करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, और चंद्रगुप्त को मजबूत करने में मदद की। चाणक्य ने चंद्रगुप्त के पुत्र बिन्दुसार के सलाहकार के रूप में भी काम किया।
275 ईसा पूर्व में चाणक्य की मृत्यु हो गई। चाणक्य की मृत्यु रहस्य है। यह ज्ञात है कि वह एक लंबा जीवन जीते थे लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि वास्तव में उनकी मृत्यु कैसे हुई। एक किंवदंती के अनुसार, चाणक्य जंगल में सेवानिवृत्त हुए और खुद को मौत के घाट उतार दिया। एक अन्य किंवदंती के अनुसार, बिन्दुसार के शासनकाल के दौरान एक राजनीतिक साजिश के परिणामस्वरूप उनकी मृत्यु हो गई।
नई दिल्ली में राजनयिक एनक्लेव का नाम चाणक्य के सम्मान में चाणक्यपुरी रखा गया है। कई अन्य स्थानों और संस्थानों का नाम भी उनके नाम पर रखा गया है। वह कई टेलीविजन श्रृंखलाओं और पुस्तकों का विषय भी है।
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Chanakya Quotes in Hindi | चाणक्य के सूक्ति वाक्य
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किसी भी मित्र पर यकायक विश्वास करना ठीक नहीं होता है क्योंकि मित्र भी यदि कभी क्रोधित हो जाता है तो वह सब गुप्त भेद को प्रकट कर देता है ।
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मन में बिचारे हुए काम को किसी के सामने प्रगट नहीं करना चाहिये क्योंकि बचन से जाहिर हुआ काम नष्ट हो जाता है । इसलिए मंत्र की भांति कार्य को गुप्त रखकर ही पूरा करना चाहिये ।
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आचार विचार से कुल का पता लगता है, भाषा बोली से देश का पता लगता है । आदर भाव से प्रीति जानी जाती है और शरीर के रूप से भोजन का पता लग ही जाता है ।
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सुन्दर रूप जवानी की दीपक, बड़े कुल में जन्म ये सब मनुष्य में होते हुए यदि विद्द्या से रहित है तो विदद्यहीन मनुष्य ढाक के फूल के सा समान ही है जो देखने में सुन्दर है किन्तु सुगन्ध से खाली है ।
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सज्जनों का साथ बड़ा उत्तम होता है क्योंकि ये अपनी संगति में आये हुए का इस प्रकार पालन – पोषण करते है जैसे मछली कछुआ और पक्षी अपने बच्चों का दर्शन, ध्यान और स्पर्श से पोषण करते है ।
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विद्या कामधेनु के समान होती है जो अकाल में भी फल देती है | जैसे कामधेनु से अकाल में भी दूध प्राप्त होता है और परदेश में माता के तरह रक्षा करती है । इसलिए विद्द्या गुप्त धन जैसा है | इसका संग्रह करना आवश्यक है ।
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शिक्षा सबसे अच्छी मित्र है. शिक्षित व्यक्ति सदैव सम्मान पाता है. शिक्षा की शक्ति के आगे युवा शक्ति और सौंदर्य दोनों ही कमजोर हैं.
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हर मित्रता के पीछे कोई स्वार्थ जरूर होता है –यह कडुआ सच है.
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कोई भी काम शुरू करने के पहले तीन सवाल अपने आपसे पूछो – मैं ऐसा क्यों करने जा रहा हूँ ? इसका क्या परिणाम होगा ? क्या मैं सफल रहूँगा ?
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अपने बच्चों को पहले पांच साल तक खूब प्यार करो. छः साल से पंद्रह साल तक कठोर अनुशासन और संस्कार दो .सोलह साल से उनके साथ मित्रवत व्यवहार करो.आपकी संतति ही आपकी सबसे अच्छी मित्र है.
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दूसरो की गलतियों से सीखो अपने ही ऊपर प्रयोग करके सीखने को तुम्हारी आयु कम पड़ेगी.
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किसी भी व्यक्ति को बहुत ईमानदार नहीं होना चाहिए – सीधे बृक्ष और व्यक्ति पहले काटे जाते हैं.
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अगर कोई सर्प जहरीला नहीं है तब भी उसे जहरीला दिखना चाहिए वैसे दंश भले ही न दो पर दंश दे सकने की क्षमता का दूसरों को अहसास करवाते रहना चाहिए.
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ईस्वर चित्र में नहीं चरित्र में बसता है अपनी आत्मा को मंदिर बनाओ.
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अज्ञानी के लिए किताबें और अंधे के लिए दर्पण एक सामान उपयोगी है .
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भय को नजदीक न आने दो अगर यह नजदीक आये इस पर हमला करदो यानी भय से भागो मत इसका सामना करो.
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दुनिया की सबसे बड़ी ताकत पुरुष का विवेक और महिला की सुन्दरता है.
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काम का निष्पादन करो , परिणाम से मत डरो.
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सुगंध का प्रसार हवा के रुख का मोहताज़ होता है पर अच्छाई सभी दिशाओं में फैलती है.
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व्यक्ति अपने आचरण से महान होता है जन्म से नहीं.
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ऐसे व्यक्ति जो आपके स्तर से ऊपर या नीचे के हैं उन्हें दोस्त न बनाओ,वह तुम्हारे कष्ट का कारण बनेगे. सामान स्तर के मित्र ही सुखदाई होते हैं.
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मूर्खो से वाद-विवाद नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे केवल आप आपना ही समय नष्ट करेंगे।
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बीती बात का शोक नहीं करना चाहिए, भविष्य में जो होगा उसकी भी चिन्ता नहीं करनी चाहिए। बुद्धिमान लोग वर्तमान समय के अनुसार कार्यों में प्रवृत्त होते हैं।
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आतुर यानि बीमार होने पर, किसी बुरे कार्य में फँसने पर, अकाल पड़ने पर, बैरी द्वारा कष्ट में फँस जाने पर, राज्य दरबार में और श्मशान भूमि में जो अपने साथ रहता है या साथ देता है असल में वही भाई है, बन्धु है ।
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उपाय उपयोग करने से दरिद्रता दूर हो जाती है । जप / मंत्र करने से पापो का नाश होता है | मौन हो जाने से कलह या लड़ाई होते हुए भी शांत हो जाती है और जागते रहने से भय अवश्य ही दूर हो जाता है ।
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ऐसा मित्र जो आपके सामने तो मीठी – मीठी बात बनाता है और पीठ पीछे कार्य को बिगाड़ता है, वह कभी भी सच्चा मित्र नहीं बन सकता है ऐसा मित्र तो उस घड़े के समान है जिसमें जहर भरा है और मुखड़े पर थोड़ा दूध दिखाई पड़ता है ऐसे मित्र को त्यागना ही उचित है ।
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मेघ के जल जैसा दूसरा जल उत्तम नहीं, आत्मबल जैसा कोई दूसरा बल नहीं । नेत्र तेज के समान दूसरा तेज नहीं और अन्न के समान दूसरी कोई वस्तु प्यारी इस संसार में नहीं है ।
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मनुष्य को अपनी औरत, अपने धन और समयानुसार अपने भोजन में सन्तोष करना चाहिए परन्तु विद्या पढ़ने, जप करने और दान देने में कभी सन्तोष करना ठीक नहीं ।
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न बनाया गया, न पहले कभी देखा गया, न किसी ने सुना किसी स्वर्ण मृग के बारे में। फिर भी श्रीरामचन्द्र की इच्छा उसे पाने की हुई। विनाश के समय में मनुष्य की बुद्धि विपरीत हो जाती है।
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जो दूसरे की स्त्री को माता के समान, दूसरे के संपत्ति को मिट्टी के ढ़ेले के समान, समस्त प्राणियों को अपनी आत्मा के समान देखता हैं, वास्तव में तो वही देखता है।
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उपकार करने वाले के साथ उपकार, और हिंसा करने वाले के साथ हिंसा करनी चाहिए क्योंकि ऐसा व्यवहार करने पर दोष नहीं होता, कारण कि दुष्ट के साथ दुष्टता का व्यवहार ही उचित है।
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बिना देखे – विचारे व्यय करने वाला किसी का सहयोग न मिलने पर भी लड़ाई – झगड़ा करने वाला और सब वर्णों की स्त्रियों से संसर्ग को उतावला मनुष्य शीघ्र विनाश का प्राप्त होता है।
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सबसे बड़ा गुरु मन्त्र है : कभी भी अपने राज़ दूसरों को मत बताएं। ये आपको बर्बाद कर देगा।
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अगर सांप जहरीला ना भी हो तो उसे खुद को जहरीला दिखाना चाहिए ।
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इस बात को व्यक्त मत होने दीजिए कि आपने क्या करने का विचार किया है, बुद्धिमानी से इसे रहस्य बनाये रखिये और इस काम को करने के लिए दृढ़ रहिये ।
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सांप के फन, मक्खी के मुख और बिच्छु के डंक में जहर होता है; पर दुष्ट व्यक्ति तो इससे भरा होता है ।
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कोई व्यक्ति अपने कार्यों से महान होता है, अपने जन्म से नहीं ।
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व्यक्ति अकेले पैदा होता है और अकेले मर जाता है; और वो अपने अच्छे और बुरे कर्मों का फल खुद ही भुगतता है; और वह अकेले ही नर्क या स्वर्ग जाता है ।
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पहले पांच सालों में अपने बच्चे को बड़े प्यार से रखिए । अगले पांच साल उन्हें डांट – डपट के रखिए । जब वह सोलह साल का हो जाये तो उसके साथ एक मित्र की तरह व्यवहार करिए । आपके वयस्क बच्चे ही आपके सबसे अच्छे मित्र है ।
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हर मित्रता के पीछे कोई न कोई स्वार्थ होता है । ऐसी कोई मित्रता नहीं जिसमे स्वार्थ ना हो । यह कड़वा सच है ।
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किसी मूर्ख व्यक्ति के लिए किताबे उतनी ही उपयोगी है जितना कि एक अंधे व्यक्ति के लिए आईना ।
फूलों की सुगंध केवल वायु की दिशा में फैलती है । लेकिन एक व्यक्ति की अच्छाई हर दिशा में फैलती है ।
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जब तक आपका शरीर स्वस्थ्य और नियंत्रण में है और मृत्यु दूर है, अपनी आत्मा को बचाने की कोशिश कीजिए; जब मृत्यु सर पर आजायेगी तब आप क्या कर पाएंगे ?
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कोई काम शुरू करने से पहले, स्वयं से तीन प्रश्न कीजिए – मैं ये क्यों कर रहा हूँ, इसके परिणाम क्या हो सकते हैं और क्या मैं सफल हो सकूंगा। जब गहराई से सोचने पर इन प्रश्नों के संतोषजनक उत्तर मिल जाए, तभी आगे बढ़ें।
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जैसे ही भय आपके करीब आए, उस पर आक्रमण कर उसे नष्ट कर दीजिए ।
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सर्प, नृप , शेर , डंक मारने वाले ततैया छोटे बच्चे, दूसरों के कुत्ते, और एक मूर्ख:, इन सातों को नीद से नहीं उठाना चाहिए।
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हमें भूत के बारे में पछतावा नहीं करना चाहिए, ना ही भविष्य के बारे में चिंतित होना चाहिए ; विवेकवान व्यक्ति हमेशा वर्तमान में जीते हैं ।
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जिस प्रकार एक सूखे पेड़ को अगर आग लगा दी जाये तो वह पूरा जंगल जला देता है, उसी प्रकार एक पापी पुत्र पूरे परिवार को बर्बाद कर देता है।
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भगवान मूर्तियों में नहीं है । आपकी अनुभूति आपका ईश्वर है । आत्मा आपका मंदिर है ।
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जो धुव यानि सत्य वस्तु अथवा कार्य को छोड़ कर अधुव यानि असत्य वस्तु या कार्य को अपनाता है उसकी सत्य वस्तु भी नाश हो जाती है अर्थात नहीं मिलती है । इसलिए सत्य को ही अपनाना चाहिए क्योंकि असत्य तो स्वयं ही नाशवान है ।
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अत्यन्त सीधा होना भी दुखदाई होता है । सीधे स्वभाव वाला व्यक्ति उसी तरह दुःख को भोगता है जैसे वन में सीधा वृक्ष शीघ्र ही काट लिया जाता है और टेड़े – मेडे के काटने में समय लगता है ।
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जल का गुण – अपच अवस्था में पीना औषधि है । भोजन पच जाने पर जल पीना बलदायक है । भोजन करते समय मध्य – मध्य में पीना अमृत के समान गुण वाला है किन्तु भोजन के बाद तुरन्त जल का एकदम पीना विषकारी है ।
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आचार्य चाणक्य के अनुसार, 4 बातें ऐसी भी हैं जो पुरुष को कभी किसी को नहीं बताना चाहिए।
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धन हानि होने पर या फिर किसी कारणवश आर्थिक नुकसान हो जाए तो ये बातें किसी से कभी भी शेयर नहीं करनी चाहिए, क्योंकि आप की ऐसी स्थिति जानने के बाद कोई आप की मदद नहीं करेगा।
हमें कभी भी अपने दुख के बारे में किसी को नहीं बताना चाहिए, क्योंकि वर्तमान समय में लोग दूसरों की तकलीफ का मजाक उड़ाते हैं, मदद नहीं करते। ऐसा होने पर आपकी परेशानी और बढ़ सकती है।
किसी को भी अपनी पत्नी का चरित्र और अच्छाई-बुराई किसी को नहीं बतानी चाहिए। अपने घर का सुख-दुख झगड़ा-लड़ाई किसी को नहीं बताना चाहिए। नहीं तो वो व्यक्ति इन जानकारियों का गलत फायदा भी उठा सकता है।
यदि जीवन में कभी भी किसी नीच व्यक्ति ने आपका अपमान किया हो तो वह घटना भी किसी को नहीं बतानी चाहिए। यदि ऐसी घटनाओं की जानकारी अन्य लोगों तक पहुंचेगीं तो आपका मजाक बनाया जा सकता है। इससे आपकी प्रतिष्ठा में कमी आएगी।
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आचार्य चाणक्य ने जीवन के हर पहलु के वास्तविक आयामों को अपने विचाओ के द्वारा समझाया है, हम सभी को इन विचारों को अपने जीवन मे आत्मसात करना चहिये। ये जीवन जीने के मूलभूत सिद्धांत आज भी उतने प्रसंगिक है जितने कभी अतीत मे रहे होंगे । चाणक्य निति हमारे समाज का आइना है और हमें एक सफल जीवन जीने मे मदद करता है ।
Chanakya Life Story: चाणक्य की जीवनी और उनकी शिक्षा । आपको कैसा लगा कमैंट्स में अवश्य बतायें, आपके किसी भी प्रश्न एवं सुझावों का स्वागत है। शेयर करें, जुड़े रहने के लिए सब्सक्राइब करें । धन्यवाद।
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