Synopsis
सिपाही वो नहीं है जो वर्दी पे गुमान करता है – Patriotic Poems
सिपाही वो नहीं है जो वर्दी पे गुमान करता है.
सिपाही वो नहीं है जो वर्दी पे गुमान करता है.
सिपाही वो नहीं जो बस तिरंगे को सलाम करता है.
आओ कराऊँ पहचान तुम्हे मैं सच्चे सिपाही की,
ये वो शख्स है जो खुदको देश पर कुरबान करता है।।
जो लड़कर सीमा पर आजादी दान करता है.
जो मरकर भी खुद पे बहुत अभिमान करता है.
सिपाही वो शक्स है जो दुश्मन का सीना चिर देता है,
घायल होकर भी ये जय भारत का गान करता है.
जो सिमा में लहराकर तिरंगा बड़ा हमारा शान करता है.
जो अपनी जवानी के दिनों को वहाँ महान करता है.
वो खाकर मौसम के थपेड़े और गोली भी,
हमारे हर खतरे का सिपाही समाधान करता है.
जो हर एक समस्या का अकेले पान करता है.
जो खुशहाल हमारी हर सुबह और शाम करता है.
आये मुसीबत जब हमारे प्यारे भारत पर,
लड़कर सिपाही जीना दुश्मन का हराम करता है.
वो अपना सारा जीवन देश के नाम करता है.
देश की रक्षा का बस जो काम करता है.
बस खुशी मिले है जिसको अपने वतन परस्ती में,
ऐसे हर सिपाही को शुभम् शत् शत् प्रणाम करता है.।
– प्रशांत व्यास रूद्र
सिपाही वो नहीं है जो वर्दी पे गुमान करता है – Patriotic Poems