किसी बेइज्ती को यूं दिल से ना लगा लेना – Poem on Women Empowerment

0
732
Poem on Women Empowerment

1 Poem on Women Empowerment- किसी बेइज्ती को यूं दिल से ना लगा लेना

Poem on Women Empowerment

Poem on Women Empowerment

यद्यपि महिलायें आज के समाज में पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर चले रही है। चाहे हम रानी लक्ष्मीबाई, सरोजिनी नायडू या मीरा कुमारी को देखे या कल्पना चावला, बछेन्द्री पाल को या फिरें साइना नेहवाल, पी टी उषा या दीपा कामकार को पहली नेवी महिला कैप्टन या महिला पायलट हो, समाज और देश का कोई ऐसा कोना नही होगा, जहाँ महिलाओं ने अपनी छाप न छोड़ी हो।

फ़िर भी हमारे समाज में दहेज प्रथा, अशिक्षा, यौन उत्पीड़न, यौन हिंसा, असमानता, भूण हत्या, महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा, वैश्यावृत्ति, मानव तस्करी, कम उम्र में विवाह तथा बच्चे पैदा करना का चलन आज भी विद्यमान है,जो नारी और समाज के उत्थान में बाँधा बनकर खड़े है ।

इन्हीं बंधनों से आज की युवा पीढ़ी को निकलना होगा और अपनी संक्रिण मानसिकता को त्यागना होगा। इसी मानसिकता की परिचायक इस कविता में बहुत ही खूबसूरती से एक बेटी के लालन पालन को दर्शाया गया है। जिस कारण वो अपने आप को बंधनों में जकड़ी पाती है , और सभी को जगाती है।

किसी बेइज्ती को यूं दिल से ना लगा लेना,
पति है परमेश्वर तेरा,
धूल कदमो की उठा लेना


किसी बेइज्ती को यूं दिल से ना लगा लेना,
पति है परमेश्वर तेरा,
धूल कदमो की उठा लेना,
माथे का सिंदूर बना लेना,
बाबा की इज्जत है आर्षित तुझी पे,
मिट जाना खुद पर इसे ना मिटा देना, धूल
कदमो की उठा लेना ,
माथे का सिंदूर बना लेना,
 
छोटी बहन की शादी,
बडे भाई की इज्जत,
सभी तो है र्निभर अब तेरे जीवन पर,
देख कोई एसा कदम ना उठा देना,
धूल कदमो की उठा लेना,
माथे का सिंदूर बना लेना,
 
बाबा जब घर से निकले तो शान उनकी एसी,
सीना रहे चौडा,और रहे गर्दन उंची,
भले चाहतो की गर्दन अपनी तू कटा लेना,
धूल कदमो की उठा लेना,
माथे का सिंदूर बना लेना,
 
जब तक तू जीएगी,तब तक तू सहेगी, दर्द सहने
की तू अपनी आदत बना लेना,
धूल कदमो की उठा लेना,
माथे का सिंदूर बना लेना,
 
देकर सीख एसी डोली में बैठाया परि को,
चंद दिनो मे अर्थी पे पाया परि को,
देख उसे मां अपने होश खो रही थी,
पर लाडो तो अब खामोश सो रही थी,
गलत तो उसने अब भी कहां किया था,
मरने से पहले भी सिंदूर सजा लिया था,
थी चिठ्ठी इक हाथो में,मां की खातिर सम्भाले,
सुन मां आंसू ना निगाहो से बहा देना,
ना देखना निशां वैहसियत के बदन पे,
बस यूहीं जला देना,
यूहीं जला देना,
 
जब तक थी सासे मै सहती रही मां,
तेरी सीख को जहन में समेटे रही मां,
जो नही था कभी इंसानियत तक के काबिल,
उसे परमेश्वर अपना कहती रही मां,
सुन फिर ये सीख
 किसी बेटी को ना सीखा देना,
कि धूल कदमो की उठा लेना,
माथे का सिंदूर बना लेना,
 
मिनाक्षी वत्स “निशा”

1 Poem on Women Empowerment- किसी बेइज्ती को यूं दिल से ना लगा लेना

1 Poem on Women Empowerment- किसी बेइज्ती को यूं दिल से ना लगा लेना

किसी बेइज्ती को यूं दिल से ना लगा लेना – Poem on Women Empowerment आपको कैसी लगीं कमैंट्स में अवश्य बतायें, आपके किसी भी प्रश्न एवं सुझावों का स्वागत है। शेयर करें, जुड़े रहने के लिए सब्सक्राइब करें । धन्यवाद।

यदि आप इस ब्लॉग पर हिंदी में अपना कोई आर्टिकल (Guest Post), कोई संस्मरण या अपने अनुभव जो भी जानकारी साझा करना चाहते है तो कृपया अपनी एक फोटो के साथ E-mail करे (‘shubhvani.info@gmail.com’)। अच्छे लेखन को आपके नाम और आपकी फोटो के साथ प्रकाशित किया जाएगा । धन्यवाद।

Poet Poems Poets Poem Inspiring Empowerment Poetry Poems about Equality Female Inspirational Feminist Gender equality Women’s rights Empowering Women’s day International women Feminism Activist Women and men International women’s day Women and girls Captain marvel