सर पे सिंदूर का “फैशन”नही है hasya kavita lyrics

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Humorous poems

Synopsis

सर पे सिंदूर का “फैशन”नही है hasya kavita lyrics

सर पे सिंदूर का “फैशन”नही है,


सर पे सिंदूर का “फैशन”नही है,
गले मे मंगलसूत्र का “टेंशन”नही है!
माथे पे बिंदी लगने मे शर्म लगती है,
तरह तरह की लिपस्टिक
अब होंठो पे सजती है!


आँखो मे काजल और
मस्कारा लगाती हैं,
नकली पलकों से
आँखो को खूब सजाती हैं!
 
मूख ऐसा रंग लेती हैं
की दूर से चमकता है, प्रफ्यूम इतना तेज
की मीलों से महकता है!
 
बालो की “स्टाइल” जाने
कैसी -कैसी हो गयी,
वो बलखाती लंबी चोटी ना जाने कहाँ खो गयी!


और परिधान तो ऐसे
“डिज़ाइन” मे आये हैं,
कम से कम पहनना इन्हे खूब भाये है!
 
आज अंग प्रदर्शन
करना मजबूरी सी लगती है, सोचती है इसी मे
इनकी खूबसूरती झलकती है
 
पर आज भी जब कोई
भारतीय परिधान पहनती है,
सच बताऊं सभी की आँखे उस
पे ही अटकती है!
 
सादगी, भोलापन और
शर्म ही भारतीय
स्त्री की पहचान है,
मत त्यागो इन्हें
यही हमारे देश
का स्वाभिमान है.


– कुंदन रावत

सर पे सिंदूर का “फैशन”नही है hasya kavita in hindi


hasya kavita in hindi