भारत माता की आरती – Deshbhakti Kavita

0
535
Patriotic Poems

Synopsis

भारत माता की आरती – Deshbhakti Kavita

भारत माता की आरती


जय-जय भारत माता,तू सब सुखों की दाता
मिल कर गुण गायें सारे भारती
जय भारत माता,हम सब उतारें तेरी आरती
तेरी नदियाँ कल-कल बहती,बांटे जीवन रस को
काश्मीर से कन्याकुमारी जोड़ें मन से मन को
जल अमृत की धारा पावन,तन मन को को करती निर्मल
जीवन के पाप उतारती —

जय भारत माता—————-

तेरी चोटियाँ गगन चूमती ,हिमालय मुकट है पावन
सागर तेरे चरणों में रह,निज को करता पावन
पावन-पावन तेरी वायु चलती,जीवन को देती मस्ती
जन-जन को तू ही माँ पालती—–

जय भारत माता———

कोई नगरी महाकाल की,कोई पीठ शक्ति का
तेरी धरती पावन संगम,शक्ति भक्ति मुक्ति का
तू भटकों को राह दिखलाती,मानव महान बनाती
जीवन के भेद विचारती—-

जय भारत माता———–  

चार वेद और चार दिशाएं ,चार ऋतु तेरी पावन
गर्मी सर्दी पतझड़ आये,कहीं रिमझिम करता सावन
सावन सावन की घटा निराली,जीवन सुख देने वाली
मस्ती में सारी भू नाचती—–

जय भारत माता———————

माँ ऋषि मुनि तेरी सन्ताने,ज्ञान जगत को दीना
तेरे वीरों ने निज बल से,न ओरों से छीना
सर्वे सुखिना भवन्तु की लय,विश्व में शांति की जय
जग में तू सारे उचारती—–

जय भारत माता —————

तेरी सोंधी-सोंधी माटी,देवों को ललचाये
तेरे दर्शन को भगवन थे,राम-कृष्ण बन आये
सब देवों की तू भू प्यारी,जाएँ तुम पर बलिहारी
 देवों को भी तू दुलारती——-

जय भारत माता —————-

तेरी रक्षा हित सदा रण में,जूझें लाल माँ तेरे
अन्तिम सांस तक लोहा लेते,ले तन पर घाव बहुतेरे
माता आज भी वीरों की गाथा,उन रणधीरों की भाषा
शिराओं में रक्त संचारती —–

जय भारत माता———

रक्त बना कर चंदन हम जब,जीवन दीप जलाएं
सिंहनाद से शत्रु काँपे,ऐसी हुंकार लगायें
ऐसी कर्म सुधा हो अपनी,ऐसी जीवन विधा हो अपनी
हो भारत के स्वप्न संवारती——

जय भारत माता———-

हिन्दू-मुस्लिम सिख इसाई,सब तेरी माला के मनके
मन से मन का दीप जला के,रहतें है हिलमिल के
सब धर्मों की वाणी गूंजे,वेद ऋचाएं गूंजे
चारों दिशाएं गूंजे,जुग-जुग जियें सारे भारती
जय भारत माता हम सब उतारें तेरी आरती।

-रजिंदर बंसल अबोहर

भारत माता की आरती – Deshbhakti Kavita


Patriotic Poems in Hindi