“”अर्ज़ किया है”। तक़दीर में जो है वही मिलेगा,- hasya kavita Daku ki Loot
” अर्ज़ किया है”। तक़दीर में जो है वही मिलेगा,
मिर्ज़ा ग़ालिब गरीबी से तंग आकर डाकू बन गए और डकैती करने एक बैंक गए और कहा,
” अर्ज़ किया है”।
तक़दीर में जो है वही मिलेगा,
हैंड्स-अप कोई अपनी जगह से नहीं हिलेगा…
फिर कैशियर से कहा,
कुछ ख्वाब मेरी आँखों से निकाल दे,
जो कुछ भी है, इस बैग में डाल दे…
बहुत कोशिश करता हूँ उसकी याद भुलाने की,
ध्यान रहे कोई कोशिश न करना पुलिस बुलाने की…
भुला दे मुझको क्या जाता है तेरा,
मार दूँगा गोली जो किसी ने पीछा किया मेरा…
– शुभम सराफ
“अर्ज़ किया है”। तक़दीर में जो है वही मिलेगा,- hasya kavita Daku ki Loot
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