जागरण गीत – Patriotic Poems in Hindi
————————–जागरण गीत—————————–
बारूदों का धुंआ उठ रहा है घर की दीवारों से.
खुनी दास्तान लिखी जा रही हे अब हथियारों से,
सिंहों ने दहाड़ना ना जाने क्यों हैं छोड़ दिया,
नपुंसकता की बू है आती अब शेरों की गारों से|
शीश हर ले गए सिंहों के गीदड़ सीमा पारों से,
कायरता के दर्शन होते अब सत्ता के गलियारों से,
कायर श्वानों की टोली सिंहों की अगुवाई करती हैं,
देख शहादत अपनें सिंहों की भारत माता रोती हैं|
जागों की इन कायरों की रूहों में अद्भुत जोश भरों
छेड़ दो युद्ध अंतिम विजय का पांचजन्य उद्घोष करों,
मूर्छा जो फिर टूटेगी तो इन गीदड़ों की खैर नहीं होगी,
अपने इस पावन भू भारत की भूमि फिर गैर नहीं होगी|
दर्द से बोझिल हैं रक्तिम हैं अब भारत माता करहाती हैं,
बेशर्मों की टोली बस अपनी जेबें भरती जाती हैं,
जाग उठा जिस रोज हिमालय भाग कहाँ पर जाओगे??
मौत के सोदागर हो तुम चौराहों पर काटें जाओगे|
गंगा का पानी रक्तिम फिर सिन्धु लाल हो जाएगा,
बच्चा बच्चा भारत का तुम्हारा काल हो जाएगा,
उठों की निंद्रा को त्यागों रणचंडी का आव्हान करों,
मुर्दों में भी प्राण फूंक दो खुद को तुम महाकाल काल करों|
– प्रशांत व्यास रूद्र
जागरण गीत – Patriotic Poems in Hindi
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