Poem on Philosophy of life- कतआत

Philosophy of Life :
दूर से, यह अजीब, अप्रासंगिक, उबाऊ और पेचीदा लगता है। लेकिन वास्तव में फिलॉसफी क्या है, इसे समझना मुश्किल नहीं है। दार्शनिक क्या हैं, वो क्या करते पहले से ही शब्द फिलॉसफी में निहित है। ग्रीक में फिलो का अर्थ है प्रेम – या भक्ति – और सोफिया का अर्थ है ज्ञान। दार्शनिक ज्ञान के प्रति समर्पित लोग हैं।
..………कतआत………
जंगल, पहाड़, सेहरा, नदी, देखते चले
राहो की धुप छाँव को भी देखते चले
क्या जाने कब कहाँ पर कोई लूट ले हमे
शहरो की शाहराह गली देखते चले
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ख़मोश है जो बशर बेज़बान थोड़ी है
गुनाहगारे जमाना महान थोड़ी है
वो झुठ बोलके खुद से ही मर गया होगा
मरे को मारना मर्दो की शान थोड़ी है
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फ़क़ीरे शहर हूं मिल्को मकान थोड़ी है
मेज़ाज सादा है कुछ आनो शान थोड़ी है
सितारे तोड़कर रख दूँ जो तेरे दामन में
क़दम ज़मीन प हैं आसमान थोड़ी है
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खुदी को खुद से ही रुश् वा नहीँ किया जाता
ज़मीर बेचकर शौदा नहीँ किया जाता
जमाना लाख बुरा हो की हो भला ‘ कारी ‘
अमीरे शह् र को शजदा नहीँ किया जाता
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खेरद से काम लो बाज़ आओ शर से
न सर इल्ज़ाम लो बाज़ आओ शर से
मुसाफ़िर हम भी हैं तुम भी मुसाफ़िर
खुदा का नाम लो बाज़ आओ शर से
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– अब्दुल कारी खमरियावीं
“शर – बुराई”
Poem on Philosophy of life
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